CG Charan Paduka Yojana to Relaunch Soon: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 1 अगस्त 2024 को घोषणा करी की चरण पादुका योजना को दोबारा लॉन्च किया जाएगा। 5 साल से बंद पड़ी छत्तीसगढ़ चरण पादुका योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। यह योजना सन 2018 में भी उस समय के मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा चलायी जा रही थी पर पिछली कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया था। अब छत्तीसगढ़ में एक बार फिर भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे एक बार फिर से लांच करने की घोषणा कर दी है। तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को चरण पादुका देने के लिए 35 करोड़ खर्च करने की घोषणा छत्तीसगढ़ के बजट में ही कर दी गई थी। इस योजना के दोबारा शुरू होने के बाद प्रदेश के 14 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। क्या है यह चरण पादुका योजना? इसका मकसद क्या है? इसका लाभ किसे मिलता है? यह कब शुरू हुई थी? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
What is Charan Paduka Yojana in Chhattisgarh?
चरण पादुका योजना छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्त्वपूर्ण योजना है। इसकी शुरुआत नवंबर 2005 में हुई थी। इस योजना के तहत तेंदु पत्ता इकट्ठा करने वाले आदिवासी लोगों को राज्य सरकार की तरफ से हर साल एक जोड़ी जूते दिए जाते हैं। शुरुआत में इस योजना के तहत परिवार के सिर्फ एक पुरुष सदस्य को साल में एक जोड़ी जूते दिए जाते थे। 2008 में इस योजना के दायरे में महिलाओं को भी लाया गया। 2008-09 और 2009-10 के दौरान इस योजना के तहत सिर्फ महिलाओं को राज्य सरकार की तरफ से जूते दिए गए। लेकिन, महिलाओं के अनुरोध पर 2013 से उन्हें जूते की जगह चप्पल दिए जाते थे।CG Charan Paduka Yojana in Previous Raman Government
बता दें कि छत्तीसगढ़ में पूर्व की रमन सरकार भी तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए चरण पादुका योजना चला रही थी। इसके तहत तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को चरण पादुका दी जाती थी। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस योजना को बंद कर दिया गया था। ऐसे में पिछले 5 सालों से तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका बंटती ही नहीं थी। इस योजना को दोबारा शुरू करने की मांग कई बार ग्रामीणों ने की थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लेकिन अब जब प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनी तो इस योजना को फिर से शुरू करने का न केवल फैसला लिया बल्कि इस बार बजट में इसे शामिल भी कर लिया गया। इसके बजट में शामिल होते ही तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों में ख़ुशी का माहौल है।
बूटा कटाई के साथ शुरू होगा काम
अब जल्द ही तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए छत्तीसगढ़ में काम शुरू होने वाला है। यहां के सरगुजा, बस्तर, जशपुर सहित अन्य क्षेत्रों में तेंदूपत्ता की पैदावार सबसे ज्यादा होती है। अब इसके लिए बूटा कटाई का काम शुरू होने वाला है। इसके बाद तेंदूपत्ता की पैदावार होगी। इसके संग्रहण का भी काम भी जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसका संग्रहण करने के वक़्त कई ग्रामीणों के पैरों में चप्पलें नहीं होने के कारण चोट लगने की संभावना बनी होती है। ऐसे में रमन सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका देने की योजना बनाई थी। इसका अच्छा फायदा भी संग्राहकों को मिल रहा था। लेकिन इस योजना को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बंद कर दिया गया था। अब विष्णु देव साय सरकार जल्द ही इस योजना के तहत चरण पादुकाएँ बांटेगी।क्या है छत्तीसगढ़ चरण पादुका योजना का मकसद?
छतीसगढ़ के कुछ इलाकों में आदिवासी तेंदु पत्ता इकट्ठा करने का काम करते हैं। तेंदु पत्तों का इस्तेमाल बीड़ी बनाने में होता है। आदिवासी इलाकों में इसे हरा सोना कहा जाता है। इसकी बिक्री से होने वाली कमाई से आदिवासी लोगों की रोजी-रोटी चलती है। तेंदु पत्ता इकट्ठा करने के लिए उन्हें घने जंगलों में जाना पड़ता है। गरीबी के चलते वे खाली पैर ही पत्ते चुनने का काम करते हैं। इससे उनके पैर में कंकड़-पत्थर और कांटे चुभ जाते हैं। कई बार पैर के नीचे सांप और बिच्छू भी आ जाते हैं। उन्हें इस कष्ट से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने चरण पादुका योजना शुरू करने को घोषणा की है।कितने लोगों को मिला चरण पादुका योजना का लाभ?
छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में लाखों लोग तेंदु पत्ता चुनने का काम करते हैं। इस योजना के तहत अब तक 15 लाख से ज्यादा लोगों को जूते और चप्पल दिये जा चुके हैं। राज्य सरकार बड़े पैमाने पर हर साल इस योजना के लिए जूते और चप्पल खरीदती है। इस योजना से इलाके के आदिवासी लोगों को काफी राहत मिली है। अभी परिवार के एक पुरुष और एक महिला सदस्य को जूते और चप्पल दिए जाते हैं। आदिवासी लोगों ने सरकार से परिवार के हर सदस्य को जूते-चप्पल देने की मांग की है। उनका कहना है कि इस काम में परिवार का हर सदस्य हिस्सा लेता है। इसलिए सरकार को सभी लोगों को इस योजना का लाभ देना चाहिए।अनुमान है की नयी चरण पादुका योजना 2024 के तहत 14 लाख से अधिक लाभार्थी लाभान्वित होंगे।
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