Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024 Apply Online, Eligibility, Documents, Benefits: केंद्र सरकार ने किसानों के विकास के एक नयी पहल, परंपरागत कृषि विकास योजना, को शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत देश के सभी किसानों को जैविक खेती करने के लिए आर्थिक सहायता देकर प्रोत्साहित किया जाएगा। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को आधुनिक तकनीक के बारे में बताया जाएगा तथा उन्हें रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। आजकल के किसान अपने खेतों में ज्यादा कृत्रिम रसायन खाद का इस्तेमाल करते हैं जिससे फसलों की उपज कम होती है तथा खाद्यान की गुणवत्ता ख़राब होती है। जैविक खेती करने से देश के लोगों को स्वस्थ और अच्छी सब्जियाँ मिल सकेंगी।
यह योजना भारत के लिए भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) (पीजीएस- इंडिया) को बढ़ावा देती है, जो पारस्परिक विश्वास पर आधारित है, स्थानीय रूप से प्रासंगिक है और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में उत्पादकों और उपभोक्ताओं की भागीदारी को अनिवार्य बनाती है। पीजीएस- इंडिया "थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन" के ढांचे से बाहर काम करता है।
इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः 60:40 के अनुपात में वित्त पोषण किया जाता है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में, केंद्रीय सहायता 90:10 (केंद्र: राज्य) के अनुपात में प्रदान की जाती है और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सहायता 100% है।
About Paramparagat Krishi Vikas Yojana 2024-2025
परम्परागत कृषि विकास योजना एक पारंपरिक कृषि योजना है, जिसे साल 2015 में शुरू किया गया था। सन 2015 में शुरू की गई परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY), केंद्र प्रायोजित योजना (CSS), राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (SHM) का एक विस्तारित घटक है। PKVY का उद्देश्य जैविक खेती का समर्थन और प्रचार करना है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है।यह योजना भारत के लिए भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) (पीजीएस- इंडिया) को बढ़ावा देती है, जो पारस्परिक विश्वास पर आधारित है, स्थानीय रूप से प्रासंगिक है और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में उत्पादकों और उपभोक्ताओं की भागीदारी को अनिवार्य बनाती है। पीजीएस- इंडिया "थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन" के ढांचे से बाहर काम करता है।
इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः 60:40 के अनुपात में वित्त पोषण किया जाता है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में, केंद्रीय सहायता 90:10 (केंद्र: राज्य) के अनुपात में प्रदान की जाती है और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सहायता 100% है।
Benefits of Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)
- इसका उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल, कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाकर रसायनों और कीटनाशकों के अवशेषों से मुक्त कृषि उत्पाद तैयार करना है।
- जैविक खेती को बढ़ावा देने में पीकेवीवाई के प्रमुख जोर क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
- ग्रामीण युवाओं/किसानों/उपभोक्ताओं/व्यापारियों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देना।
- जैविक खेती में नवीनतम तकनीकों का प्रसार करना।
- भारत में सार्वजनिक कृषि अनुसंधान प्रणाली के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करना।
- प्रत्येक गांव में कम से कम एक समूह प्रदर्शन का आयोजन करना।
- पीकेवीवाई का उद्देश्य जैविक खेती को समर्थन एवं प्रोत्साहन देना है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा।
- परम्परागत कृषि विकास योजना का एक उद्देश्य किसानों को पारम्परिक खेती के लिए प्रोत्साहित करके उपज के लिए कम लागत की सुविधा उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके।
- जैविक खेती होने से हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हमें अनुकूल और रसायन वाले चीजों से बचत होगी।
- इस योजना के तहत किसानों को स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों से भी सीधे जोड़ा जाएगा जिससे वह अपने उपज हुए उत्पादन को अच्छे दामों पर बेच सके।
- किसानों के अतिरिक्त देश के अन्य लोगों के लिए भी यह योजना वरदान साबित होगी क्योंकि लोगो को बिना रसायन के उपयोग वाले फल, सब्जियां मिलेंगी, जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
- विकास करने के लिए सेहतमंद समाज का होना अति आवश्यक है, जिसे परम्परागत कृषि विकास योजना के माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
- आधुनिक विकास और पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से खेती का स्थाई मॉडल बनाने में यह योजना मदद करेगी।
- इस योजना से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी।
- पुरानी कृषि विकास योजना के माध्यम से क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, मूल्यवर्धन और विपरण के लिए सहायता प्रदान किया जाएगा।
- परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर ₹50,000 की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा 3 वर्षों के लिए दी जाएगी।
- योजना के तहत किसानों को ₹31000 प्रति हेक्टेयर जैविक उर्वरक, कीटनाशकों और बीजों के लिए दिए जाएंगे।
- किसानों को मूल्यवर्धन और वितरण के लिए ₹8800 मिलेगा।
- इसके अलावा, क्षमता निर्माण और क्लस्टर निर्माण के लिए हर हेक्टेयर के लिए ₹3000 मिलेगा।
- इस योजना का लाभ सीधे किसानों के खाते में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के माध्यम से भेजा जायेगा।
Paramparagat Krishi Vikas Yojana Apply Online Process
यदि आप भी एक किसान है और आपके पास खेती करने के लिए पर्याप्त भूमि है, तो आप परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए अपना आवेदन कर सकते हैं:-
- आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान को परंपरागत कृषि विकास योजना की आधिकारिक वेबसाइट https://pgsindia-ncof.gov.in/home.aspx पर जाना पड़ेगा।
- उसके बाद आपके सामने "Register" का एक विकल्प दिखेगा जहां पर आपको क्लिक कर देना है।
- फिर आपके सामने एक नया पेज खुलकर आ जाएगा जहां पर आपको "Individual Farmer" के ऑप्शन पर सेलेक्ट करना है।
- फिर आपके सामने एक नया पेज खुलेगा और यहां पर आपसे कुछ जानकारी जैसे राज्य का नाम, स्कीम का नाम, पता इत्यादि पूछी जाएगी जिसे आपको भर लेनी है।
- स्कीम का नाम "PKVY" सेलेक्ट करें और अन्य जानकारी भरें।
- फिर आपको नीचे "Register" के बटन पर क्लिक कर देना है।
- उसके बाद आपको लॉगिन के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है। अपने यूजर नेम और पासवर्ड की सहायता से लॉगिन कर लें।
- उसके बाद आपके सामने PKVY योजना के तहत आवेदन करें का एक विकल्प दिखेगा। उस पर आपको क्लिक करना है, फिर आपके सामने एक आवेदन फार्म खुलकर आ जाएगा। इस आवेदन फार्म को आपको सही तरीके से भर लेनी है।
- सभी जरूरी दस्तावेज को आपको अपलोड कर लेना है। फिर अंत में आपको नीचे सबमिट के बटन पर क्लिक कर देना है। इतनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद आप इस योजना के लिए अपना आवेदन कर लेते हैं।
Paramparagat Krishi Vikas Yojana Eligibility Criteria
- परम्परागत कृषि विकास योजना के लिए आवेदन केवल किसान श्रेणी के लोग ही कर सकेंगे।
- भारतीय मूल निवासी किसान ही केवल PKVY योजना में आवेदन कर सकते हैं।
- Paramparagat Krishi Vikas Yojana में आवेदन करने के लिए किसान की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
- आवेदन करने वाले किसानों के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए।
- परम्परागत कृषि विकास योजना में आवेदन करने वाले किसानों के पास सभी आवश्यक दस्तावेजों की होनी चाहिए।
परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता
- परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, अन्य गतिविधियों को प्रोत्साहन, मूल्य संवर्धन और विपणन के लिए Rs. 50000 प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है।
- Rs. 31000 प्रति हेक्टेयर जैविक खाद, कीटनाशक, बीज आदि की खरीद के लिए 3 साल के लिए दिया जाता है।
- इसके साथ ही 3 साल के लिए प्रति हेक्टेयर Rs. 8800 मूल्यवर्धन और विपणन के लिए मिलता है।
- इसमें क्लस्टर निर्माण और क्षमता बढ़ाने के लिए प्रति हेक्टेयर Rs. 3000 की आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
Paramparagat Krishi Vikas Yojana Documents Required
- आधार कार्ड
- निवास प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- भूमि रिकॉर्ड
- राशन कार्ड
- मोबाइल नंबर
- पासपोर्ट साइज फोटो
परम्परागत कृषि विकास योजना क्यों है जरुरी?
जैविक खेती करने से भूजल का स्तर बढ़ जाता है और सतह पानी में नाइट्रेट की मात्रा भी कम होती है। इसी कारणवश केंद्र सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है। परम्परागत कृषि विकास योजना से किसानों को जैविक खेती की नयी तकनीकों के बारे में बताया जाएगा, जिससे उनकी कृषि लागत कम हो सके और साथ ही उनकी आय में भी वृद्धि हो।
सॉइल हेल्थ योजना के घटक के तौर पर पारंपरिक कृषि विकास योजना को शुरू किया गया है। जैविक खेती के स्थाई मॉडल को आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान दोनों का उपयोग करके इस योजना का निर्माण किया जाएगा। पुरानी कृषि विकास योजना का मुख्य लक्ष्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है। इस योजना के माध्यम से क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण, आदनो का प्रोत्साहन, मूल्यवर्धन और विपरण किया जाता है। किसान के जैविक खेती करने से पर्यावरण अनुकूल रहेगा जिससे हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी।
2015-16 में क्लस्टर मोड में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई। यह योजना किसानों के लिए ही नहीं बल्कि देश के सभी लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए है। जैविक खेती से मिलने वाले सब्जी सेहत के लिए काफी पौष्टिक मानी जाती है। आजकल लोग खेती करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत देश के किसानों को परंपरागत तरीके से खेती को बढ़ावा देगी जिससे देश के लोग स्वस्थ रह सकेंगे।
2015-16 में क्लस्टर मोड में रसायनिक मुक्त जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई। यह योजना किसानों के लिए ही नहीं बल्कि देश के सभी लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए है। जैविक खेती से मिलने वाले सब्जी सेहत के लिए काफी पौष्टिक मानी जाती है। आजकल लोग खेती करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक है। केंद्र सरकार इस योजना के तहत देश के किसानों को परंपरागत तरीके से खेती को बढ़ावा देगी जिससे देश के लोग स्वस्थ रह सकेंगे।
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